सहकारी बैंक अब आरबीआई की निगरानी में रहेंगे
- Desh Ki Dharti
- Jun 24, 2020
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बुधवार को कैबिनेट बैठक हुई. इस बैठक में को-ऑपरेटिव बैंक को लेकर एक अहम फैसला लिया गया है. इस फैसले के तहत अब देश के सभी सहकारी बैंक (अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक हो या मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक) रिजर्व बैंक की निगरानी में आएंगे. यहां बता दें कि अभी देश में 1482 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक और 58 मल्टी स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक हैं.
निगरानी का मतलब
इनका ऑडिट आरबीआई नियमों के तहत होगा. अगर कोई बैंक वित्तीय संकट में फंसता है, तो उसके बोर्ड पर निगरानी भी आरबीआई ही रखेगा. हालांकि, प्रशासनिक मसलों को रजिस्ट्रार ऑफ कोऑपरेटिव्स देखते रहेंगे. बहरहाल, सवाल ये है कि सरकार ने ये फैसला क्यों लिया है और इसका ग्राहकों को क्या फायदा होगा.
क्यों लिया गया फैसला
दरअसल, बीते कुछ समय से देश के अलग-अलग हिस्सों के को-ऑपरेटिव बैंक में नियमों की अनियमितता का खुलासा हुआ है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव (पीएमसी) बैंक है. इस बैंक ने रिजर्व बैंक के कई नियमों का उल्लंघन तो किया ही, साथ ही केंद्रीय बैंक को गुमराह भी किया. पीएमसी बैंक के मैनेजमेंट पर आरोप है कि नियमों को ताख पर रखकर हाउिसंग डेवलपमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर (HDIL) को लोन दिया गया. बैंक ने यह कर्ज HDIL को ऐसे समय में दिया जब यह कंपनी दिवालिया होने की प्रक्रिया से गुजर रही थी.
पिछले साल यानी 2019 में इसका खुलासा हुआ. इसके बाद रिजर्व बैंक ने पीएमसी बैंक पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी. इस पाबंदी के तहत ग्राहकों को पैसे निकालने की लिमिट भी तय कर दी गई. वहीं, बैंक को नए लोन या नए निवेश के अलावा जमा पर रोक लगा दी गई. ऐसे ही एक मामले में मुंबई स्थित सीकेपी सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द कर दिया गया.
फैसले का फायदा
पीएमसी बैंक जैसे मामलों के आने के बाद ग्राहकों की परेशानी बढ़ी है और बैंकों पर से भरोसा कम हुआ है. सरकार का कहना है कि इन बैंकों के आरबीआई की निगरानी में आने के बाद 8.6 करोड़ से अधिक जमाकर्ताओं को भरोसा मिलेगा. यह आश्वासन मिलेगा कि उनका बैंकों में जमा 4.84 लाख करोड़ रुपया सुरक्षित है. इसके साथ ही ग्राहकों के हित में रिजर्व बैंक द्वारा लिए गए फैसले का फायदा निजी और सरकारी बैंकों के साथ ही को-ऑपरेटिव बैंक तक पहुंचेगा.
बजट में हुआ था ऐलान
इसी साल फरवरी में आम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने को-ऑपरेटिव बैंक को आरबीआई की निगरानी में लाने का प्रस्ताव रखा था. इसके साथ ही वित्त मंत्री ने जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख कर दिया था. इसका मतलब ये हुआ कि बैंक में जमा राशि डूब भी जाती है तो आपको 5 लाख तक की बीमा मिलेगी.
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